जिसे मैंने दूध पिलाया है | Jise Maine Dudh Pilaya Hai

Jise Maine Dudh Pilaya Hai:

Jise Maine Dudh Pilaya Hai
Jise Maine Dudh Pilaya Hai
हनुमत से बोली यू माता, क्यूं मुख मुझे दिखाया है,
तू वो मेरा लाल नही, जिसे मैंने दूध पिलाया है ।।टेर।।
मैने ऐसा दूध पिलाया, तुमको क्या बतलाऊं मैं,
पर्वत के टुकड़े हो जाये, धार अगर जो मारू मैं।
मेरी ही कोख से जन्म लिया और मेरा ही दूध लजाया है,
तू वो मेरा लाल नही, जिसे मैंने दूध पिलाया है।।
भेजा था श्री राम के संग में, करना उनकी रखवाली,
लक्ष्मण शक्ति खा के पड़ा, रावण ने सीता हरली,
मां का शीश कभी ना उठेगा, ऐसा दाग लगाया है,
तू वो मेरा लाल नही, जिसे मैंने दूध पिलाया है।।
छोटी सी एक लंका जलाके, अपने मन में गर्वाया,
रावण को जिन्दा छोड़ा, और सीता साथ नहीं लाया,
कभी न मुझको मुख दिखलाना, मां ने हुक्म सुनाया है,
तू वो मेरा लाल नही जिसे मैंने दूध पिलाया है।।
हाथ जोड़ कर बोले हनुमत, इसमें दोष नहीं मेरा,
श्री राम का हुक्म नही था, मां विस्वास करो मेरा।
मैंने वही किया है जो, श्री राम ने मुझे बताया है,
तू वो मेरा लाल नही, जिसे मैंने दूध पिलाया है।।
धन्य-धन्य है अंजनी माता, ऐसे लाल को जन्म दिया,
हाथ जोड़ कर श्री राम ने, उस देवी को नमन किया,
“बनवारी” मत क्रोध करो मां, ये सब मेरी माया है,
तू वो मेरा लाल नहीं, जिसे मैंने दूध पिलाया है।।

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