सियाराम का रूप समाया लिरिक्स | Siya Ram ka Roop Samaya Lyrics

Siya Ram ka Roop Samaya Lyrics:

Siya Ram ka Roop Samaya Lyrics
Siya Ram ka Roop Samaya Lyrics
तिंहुलोक में बजरंग तुमने भक्ति दीप जलाया,
तेरे रोम रोम में हनुमत, सियाराम का रूप समाया।
जय राम सियाराम ।।टेर।।
सीता का हरण हुआ तो, श्री राम समझ न पाए।
बन दीप पूछते सबसे, पर कौन उन्हें समझाये।
तुमसे जब भेंट हुई तो, तुमने संताप मिटाया।
तेरे रोम-रोम में हनुमत, सियाराम का रूप समाया।
जय राम सियाराम।।
गए सात समुन्दर उड़के, सोने की लंका जलाए।
सीता को देकर खुशियां, वर अजर-अमर का पाये।
श्री राम को हाल सुनाकर, रावण का पता लगाया।
तेरे रोम-रोम में हनुमत सियाराम का रूप समाया।
जय राम सियाराम।।
मुर्छित लक्ष्मण की खातिर, संजीवन बूटी लाय।
अहिरावण के फन्दे से श्री राम लखन को छुड़ाये।
श्री राम विजय की गाथा, जा अवध भरत को सुनाया।
तेरे रोम-रोम में हनुमत, सियाराम का रूप समाया।
जय राम सियाराम।।
रघुवर के राज तिलक पर है भेंट सबो ने पाई।
हनुमान को कुछ न मिला तो, सीता मन में सकुचाई।
दे हार गले का अपने, हनुमत का मान बढ़ाया।
तेरे रोम-रोम में हनुमत, सियाराम का रूप समाया।
जय राम सियाराम।।
माला के हर दाने में कही राम नजर नही आये।उपहास हास को सुनकर, सीने को फाड़ दिखाया।सीने में राम सिया की, झांकी का दरश दिखाया।तेरे रोम-रोम में हनुमत, सियाराम का रूप समाया।जय राम सियाराम।।
वरदान मिला रघुवर से, कोई तुमसा भक्त न होगा।
गुंजेगा नाम तुम्हारा, हर युग में डंका बजेगा।
नन्दु मांगे प्रभु भक्ति, भक्ति में सब है समाया।
तेरे रोम-रोम में हनुमत, सियाराम का रूप समाया।
जय राम सियाराम।।

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