Banar Banko Re Lyrics:
बांनर बांको रे लंका नगरी में मच गया हाको रे ।।टेर।। |
मात सीताजी कहवे बेटा, फल खाई तूं पाको रे। इतने मांही कुद्या हनुमत, मार फदाको रे, बांनर।। |
रूंख उखाड़ पटक धरणी पर, भोग लगाय फलां को रे। रखवाला जब पकड़़ण लाग्या, दियो झड़ाको रे, बानर।। |
राक्षसिया अरड़ावे सारी, काल आगयो म्हांको रे। मुंह पर मार पड़े मुक्कारी, फाड़े बाको रे बांनर।। |
हात टांग तोड़े सिर फोड़े, घट फोड़े ज्यूं पाको रे। उथल पुथल सब कर्यो बगीचो, बिगड़यो खाको रे, बांनर।। |
उजड़ पड़ी अशोक वाटिका, ज्यूं मारग सडकांको रे। लुक छिप कर कई घर में घुसग्या, पड़ गया फाको रे, बांनर।। |
जाय पुकार करी रावणस्यूं, दिन खोटो असुरों को रे। कपी आय एक घुस्यो बाग में, जबर लड़ाको रे, बांनर।। |
भेज्यो अक्षयकुमार भिड़णने, हनुमत सामो झांक्यो रे। एक लात की पड़ी असुर पर, पी गयो नाको रे, बांनर।। |
धन-धन रे रघुवर का प्यारा, अतुलित बल है थांको रे। तूं ही जग में मुकुट मणि है, हरि-भंगता को रे, बांनर।। |
हांरे बांनर बांको रे।। सांच्याई बांनर बांको रे।। |